Tuesday, March 19, 2024
HomeMoviesWeb Series Review: सोसायटी की लिफ्ट बीच में फंस गई है 'सनफ्लावर',...

Web Series Review: सोसायटी की लिफ्ट बीच में फंस गई है ‘सनफ्लावर’, सुनील ग्रोवर की एक्टिंग की हुई तारीफ

फिल्‍म का नाम- सनफ्लावर (ज़ी5)
रिलीज डेट- 11 जून, 2021
डायरेक्‍टर- राहुल सेनगुप्ता, विकास बहल
कास्‍ट- सुनील ग्रोवर, आशीष विद्यार्थी, गिरीश कुलकर्णी, रणवीर शौरी और अन्य
जॉनर- क्राइम, थ्रिलर, कॉमेडी
रेटिंग- 2.5 /5

ड्यूरेशन- 1 सीजन. 8 एपिसोड.
प्रोड्यूसर- रिलायंस एंटरटेनमेंट, गुड कंपनी

जी5 पर रिलीज हुई वेब सीरीज ‘सनफ्लावर’ का निर्देशन किया है फिल्मकार विकास बहल ने, जिनका नाम यौन उत्पीड़न के एक केस में सामने आया था। फिलहाल, इस मामले में विकास की छवि साफ हो चुकी है और वह ‘सनफ्लावर’ के साथ एक बार फिर से दर्शकों के लिए मनोरंजक कंटेंट लेकर आए हैं। विकास बहल के साथ इसे राहुल सेनगुप्ता ने भी डायरेक्ट किया है। इस सीरीज की कहानी एक मर्डर मिस्ट्री के ईर्द-गिर्द घूमती है। एक शव और दो संदिग्ध। यह तो स्पष्ट है कि एक शख्स अपनी बातों से संदिग्ध नजर आता है और दूसरा अपनी हरकतों से। एक सोसाइटी में होने वाले मर्डर की जांच को लेकर बनी ये वेब सीरीज एक लिफ्ट की तरह है जो दो मालों के बीच में फंस गयी है, लाइट भी नहीं आ रही है और दरवाज़े खोलने मुश्किल है। दर्शक सनफ्लावर देखने के बाद फंसा हुआ महसूस करेंगे।

सनफ्लावर देखने में मज़ा तो आता है लेकिन अधूरा कुछ रह जाता है. जितनी मज़े की गति से वेब सीरीज और उसके किरदार सामने आ रहे थे, अचानक 8वें एपिसोड में आखिरी के 5 मिनिट में पूरी कहानी ख़त्म कर दी. सुनील ग्रोवर और गिरीश कुलकर्णी की असामान्य प्रतिभा के लिए ये वेब सीरीज देखी जानी चाहिए.

सनफ्लावर हाल ही में ज़ी 5 पर प्रस्तुत की गयी वेब सीरीज है जो क्राइम, थ्रिलर और कॉमेडी का सम्मिश्रण बनाया गया है, ये ठीक वैसा ही है जैसा घर की सभी बची हुई सब्ज़ियों को मिला कर मिक्स-वेज बनाया जाए। इस वेब सीरीज के पहले 3 मिनिट में ही एक मर्डर हो जाता है, और सबसे अच्छी बात कि आपको पता होता है कि मर्डर किया किसने है। अब आप उम्मीद लगाते हैं कि ये सीरीज इस बात को हल करने की कोशिश करेगी की मर्डर करने वाले की शिनाख्त कैसे होगी, पुलिस कौनसी छड़ी घुमा कर सबूतों को सामने लाएगी और अपराधी कौन की तर्ज़ पर शरलॉक होम्स की ही तरह संदेह के बादल छटेंगे और असली अपराधी सामने आएगा। यहीं आपकी उम्मीद को इस अपार्टमेंट की छत से नीचे फेंक दिया जाता है। मर्डर होने के बाद, पुलिस का आना, सोसाइटी में रहने वालों का इस मर्डर के प्रति उदासीनता से देखना और फिर अपनी अपनी जिंदगी में लौट जाने के अलावा इस वेब सीरीज में कोई भी शॉक एलिमेंट नहीं है। थोड़ा थ्रिल है, बहुत सारी कॉमेडी है।

कहानी विकास बहल ने लिखी है। विकास बहल ने चिल्लर पार्टी, क्वीन, शानदार और सुपर 30 जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है। इस वेब सीरीज में विकास कहां चूक गए ये कहना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि आखिरी एपिसोड तक तो दर्शक टिका रहता है इस उम्मीद में की कुछ धमाका होने वाला है लेकिन आखिरी के 5 मिनिट में जो उसकी उम्मीदों पर पानी फेरा गया है वो अजीब है। मानो, लेखक कुछ कहना चाहता है और फिर वो भूल गया तो जैसे तैसे कहानी ख़त्म कर दी। निर्देशन में विकास का साथ दिया है राहुल सेनगुप्ता ने। डायरेक्शन है तो बहुत बढ़िया लेकिन मर्डर मिस्ट्री के नाम पर कॉमेडी सीरीज टिका दी गयी है। आम आदमी सुपर बिल्ट अप और बिल्ट अप और कारपेट एरिया में फर्क नहीं कर पाता है। मर्डर की जांच शायद तीसरे एपिसोड में पूरी हो सकती थी। आशीष विद्यार्थी के किरदार के ज़रिये जो मुंबई की रिहाइशी सोसाइटी में किराये पर मकान लेनेवालों का दुख बयान करने की कोशिश की गयी है, उसकी उपयोगिता समझ नहीं आती। वहीं पंजाब से भाग कर आयी बेसुरी सिंगर के रोल में सिमरन का कैरेक्टर भी अजीब है। एक एपिसोड का आधे से ज़्यादा हिस्सा उस पर केंद्रित है।

राजकुमार संतोषी की फिल्म दामिनी में रेप केस में फंसे और ऋषि कपूर के छोटे भाई का किरदार निभाने से करियर की शुरुआत करने वाले अश्विन कौशल की नारियल पानी पीने से मौत हो जाती है, क्योंकि इस नारियल पानी में उनके पडोसी प्रोफेसर आहूजा ने उसमें इंजेक्शन से चूहा मार दवा मिला दी थी। पुलिस के तौर पर रणवीर शौरी आते हैं जो कि सवाल पूछते पूछते क्रॉसवर्ड खेल रहे होते हैं। थोड़ी देर में उनके जूनियर के तौर पर गिरीश कुलकर्णी भी नमूदार होते हैं जो कि शक्ल, अक्ल और बात करने के अंदाज़ से ही निहायत ही नीच किस्म के पुलिस वाले लगते हैं। घर में काम करने वाली बाई, पडोसी, सोसाइटी में रहने वाले अन्य लोग, नारियल पानी सप्लाई करने वाले और अख़बार देने वाला, सब से पूछताछ होती है। इन सबके बीच सुनील ग्रोवर का किरदार निकल कर आता है जो कि एक दवा बनाने की कंपनी में मेडिकल रिप्रेज़ेंटेटिव रह चुका है और फिलहाल एक कॉस्मेटिक निर्माता कंपनी में काम कर रहा है। इस पूरी सीरीज में दो किरदार सबसे ज़्यादा नज़र आते हैं – सुनील ग्रोवर और गिरीश कुलकर्णी।

सुनील ने संभवतः अपने जीवन की अब तक की सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। उनके टैलेंट पर कोई शक करने की वजह किसी के पास नहीं है। हर चीज़ करीने से रखने की ओसीडी, हर काम कायदे से करने का शौक़, प्रेम में चोट खाने के बाद भी आते जाते सुन्दर लड़कियों से एकतरफा इश्क़ करने की बीमारी, और नए नए मुहावरे गढ़ने का आदि ये किरदार पूरी वेब सीरीज में जान डाले हुए है। सीरीज आगे भी सुनील की कहानी के साथ ही बढ़ती है और मर्डर कहीं पीछे छूट जाता है। सुनील हैं तो कॉमेडी तो होगी ही लेकिन ये सुनील की अब तक की हुई कॉमेडी से बिलकुल अलग है। सुनील ने सिचुएशन पर कॉमेडी की है, उनके डायलॉग में नयेपन का मसाला पड़ा है। सुनील के किरदार पर आस पास हो रही किसी भी घटना से कोई खास फ़र्क़ नहीं पड़ता जब तक की उनकी पतलून, उनका चपरासी चुरा के नहीं लेजाता और कुछ दिन बाद ऑफिस पहन के चला आता है। एकाध जगह वो थोड़ा हीरो भी बनने की कोशिश करता है जब वो एक क्लब में एंट्री पाने के लिए बाउंसर को धमकाता है।

गिरीश कुलकर्णी को हिंदी दर्शकों ने दंगल फिल्म में खड़ूस कोच की भूमिका में देखा है और इसलिए ये बात सब तक पहुंचना ज़रूरी है कि गिरीश को लेखन और अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। मराठी फिल्में देखने वालों को गिरीश की अभिनय क्षमता के बारे में बताने की ज़रुरत भी नहीं पड़ती। गिरीश को नेटफ्लिक्स के बहुचर्चित शो सेक्रेड गेम्स में काइयां पॉलिटिशियन बिपिन भोंसले के किरदार में देखा गया था। पुलिस वाले का किरदार निभाना गिरीश के लिए नया नहीं है लेकिन गिरीश की सहजता से हर किरदार में एक नया एंगल मिलता है। जिस तरीके से वो अपना फ़ोन निकल कर हर चीज़ शूट कर रहे होते हैं, फ़ोन के कवर पर रिंग लगा कर वो फ़ोन को जिस अंदाज़ में झुलाते हैं, और हॉस्पिटल में गाली देनेवाले समीर खख्खर के सामने वो हड़बड़ा जाते हैं, या फिर घर में काम करने वाली बाई के फ़ोन का पासवर्ड “आय लव यू” है ये सुन कर उनके चेहरे पर आने वाले भाव उनकी अभिनय क्षमता को दिखाता है।

एक टूटती हुई शादी में फंसे थाना इंचार्ज रणवीर शौरी, सोसाइटी में चेयरमैन बनने की कवायद में लगे संस्कृति के स्वयंभू रक्षक आशीष विद्यार्थी और चंडीगढ़ से अपने पति और ससुर को छोड़ कर मुंबई में सिंगिंग टैलेंट हंट में भाग लेने आयी सिमरन नेरुरकर के रोल बहुत अच्छे से लिखे गए हैं और उन्होंने इन्हें निभाया भी बड़ी खूबसूरती से है। लेकिन जिन दो किरदारों ने पूरी कहानी में अप्रत्याशित तरीके से प्रभावित किया वो है मिस्टर और मिसेज़ आहूजा के किरदार में मुकुल चड्ढा और राधा भट्ट खासकर राधा ने जो आखिरी सीन में अपने किरदार को पूरी तरह से बदल कर क्लाइमेक्स का पूरा मतलब और कहानी का पूरा रंग बदल देती हैं, वो इस सीरीज का है पॉइंट है।

RELATED ARTICLES

Most Popular