Thursday, November 21, 2024
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Bhediya Review: देखने से पहले जानिए वरुण धवन की फिल्म भेड़िए की कहानी 

Bhediya Review:इसी शुक्रवार को वरुण धवन और कृति सेनन स्टारर फिल्म भेड़िया बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो चुकी है। क्रिएचर कॉमेडी फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आ रही है।  फिल्म को वीकेंड का भी भरपूर फायदा मिला है और शुक्रवार के मुकाबले शनिवार और रविवार को 'भेड़िया' की कमाई की रफ्तार में तेजी आयी है।

Bhediya Review:इसी शुक्रवार को वरुण धवन और कृति सेनन स्टारर फिल्म भेड़िया बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो चुकी है। क्रिएचर कॉमेडी फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आ रही है।  फिल्म को वीकेंड का भी भरपूर फायदा मिला है और शुक्रवार के मुकाबले शनिवार और रविवार को ‘भेड़िया’ की कमाई की रफ्तार में तेजी आयी है।

 

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अमर कौशिक के निर्देशन में बनी फिल्म भेड़िया (Bhediya) ने पहले दिन 7. 47 करोड़ का कलेक्शन किया है। रिलीज के दूसरे दिन ‘भेड़िया’ की कमाई तेज हुई और फिल्म ने दूसरे दिन शनिवार को 9.57 करोड़ रुपये का बिजनेस किया है। ‘भेड़िया’ ने तीसरे दिन, रविवार को 11 करोड़ की कमाई  की है। इसके  साथ ही वरुण धवन और कृति सेनन स्टारर फिल्म तीन दिनों में कुल 28.05 करोड़ का बिजनेस कर चुकी है।

कैसी है भेड़िया की कहानी-

भेड़िया की कहानी वरुण धवन के आस-पास घूमती है। एक भेड़िए के काटने के बाद वरुण धवन आदतें और शरीर भेड़िए में बदल जाता है। वरुण धवन के किरदार का नाम भास्कर है। रोड कंस्ट्रक्टर है और उसे अरुणाचल प्रदेश के जिरो इलाके में एक लंबी सड़क बनाने का ठेका मिला है। वह अपने कजिन जनार्दन (अभिषेक बनर्जी) के साथ वहां पहुंचता है। जिरो में उसका एक दोस्त है जोबिन (पालिन कबाक)। दोस्त मिलते हैं तो सबसे पहले गाना गाते हैं फिर भास्कर लोकल अधिकारियों को समझाता है कि जंगल के किनारे-किनारे लंबी सड़क बनाने के बजाय जंगल के बीच से सड़क बनाने में सबका फायदा है। पैसा बचेगा, तो सबमें बंटेगा तभी एक रात भेड़िया भास्कर को काट लेता है। इसके बाद हर पूनम की रात भास्कर भेड़िये में बदल जाता है और जो लोग सड़क बनाने में भ्रष्टाचार की राह खोलते हैं, उन्हें मार कर खाता है।

फिल्म में कृति सेनन के किरदार का नाम डॉ अनिका है। डॉ अनिका जानवरों की डॉक्टर हैं। वो जानवरों का इलाज करती है और वही भास्कर का भी इलाज करती है। इलाज के साथ कहानी में अचानक एक शब्द आता है, विषाणु। यह विषाणु कोई और नहीं, भेड़िया है जिन रास्तों से सड़क गुजरनी है, वहां के लोग जंगल की पूजा करते हैं। उनके अपने देवी-देवता-विश्वास-अंधविश्वास हैं। वह ऐसा मानते हैं कि विषाणु जंगल के रक्षक हैं। जब भी कोई जंगल को नुकसान पहुंचाना चाहता है, तो वह नाराज होकर बाहर निकल आते हैं। दुश्मनों को ठिकाने लगाते हैं लेकिन लेखक-निर्देशक यह नहीं बता पाते है कि जब सब मानते हैं कि जीवाणु जंगल के रक्षक हैं तो फिर लोकल वन विभाग क्यों इन भेड़ियों की जान लेना चाहता है, जिनमें जीवाणु है क्यों इलाके के लोग वन रक्षकों के भेड़िया मारो अभियान का तमाशा देखते हैं। कहानी में ऐसा लगता है कि जंगलों से सच्चा प्यार भेड़ियों को है, लोगों को नहीं।

 

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