Saturday, July 27, 2024
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एक्शन में लौटा ‘टास्क’ छोड़ने वाला श्रीकांत, जानिए कैसी है ‘द फैमिली मैन 2’

साल की सबसे बड़ी सीरीज द फैमिली मैन 2 कोरोना काल में रिलीज हो गई है। कहानी जहां पर खत्म हुई थी, वहीं से शुरू होती है, सिर्फ इस बार चुनौतियां दूसरी हैं, खतरा ज्यादा बढ़ा है और मामला थोड़ा निजी। वैसे भी सीरीज को लेकर जैसा बवाल रहा था, उस वजह से इसको देखने का इंतजार जरूरत से ज्यादा था। अब वो विवाद कितना जायज है, सीरीज कितनी मजबूत है, मेकर्स ने फिर दर्शकों के साथ न्याय किया है या नहीं।

नई दिल्ली। साल की सबसे बड़ी सीरीज द फैमिली मैन 2 कोरोना काल में रिलीज हो गई है। कहानी जहां पर खत्म हुई थी, वहीं से शुरू होती है, सिर्फ इस बार चुनौतियां दूसरी हैं, खतरा ज्यादा बढ़ा है और मामला थोड़ा निजी। वैसे भी सीरीज को लेकर जैसा बवाल रहा था, उस वजह से इसको देखने का इंतजार जरूरत से ज्यादा था। अब वो विवाद कितना जायज है, सीरीज कितनी मजबूत है, मेकर्स ने फिर दर्शकों के साथ न्याय किया है या नहीं। जानते हैं….

भारत-श्रीलंका और आतंकवाद

इस बार द फैमिली मैन की कहानी श्रीलंका और भारत के रिश्तों पर आधारित है। पाकिस्तान का कनेक्शन दिखाया गया है, लेकिन सारा खेल श्रीलंका की तरफ से होता है। श्रीलंका में तमिल आबादी अपने हक के लिए लंबे समय से लड़ रही है। वहां पर ये लोग एक अलग देश बनाने के सपने देख रहे हैं। अब श्रीलंका आर्मी ने तो उन विद्रोहियों पर काबू पा लिया है। जान बचाने के लिए उन सभी आंदोलनकारियों को दूर-दराज के देशों में शरण लेनी पड़ी है। उस आंदोलन का एक सैनिक भारत के तमिलनाडु में शरण लेता है। श्रीलंका सरकार चाहती है कि भारत उस सैनिक को उन्हें सौंप दे। भारत इसकी तैयारी भी करता है, लेकिन कुछ बवाल होता है और फिर उस सैनिक की मौत हो जाती है। अब क्योंकि उस आंदोलन का एक सक्रिय सैनिक भारत में मरता है, ऐसे में देश के खिलाफ साजिश रचने की तैयारी शुरू हो जाती है।

मनोज का गजब का स्वैग

हां आखिर के कुछ एपिसोड्स मे रफ्तार भी है, सस्पेंस हैं और कुछ नाटकीय मोड़ भी। लेकिन उस मजे के लिए शुरुआती तीन एपिसोड काफी पेशेंस के साथ देखने पड़ जाएंगे। अब कहानी जरूर खिची हुई दिखाई पड़ी है, लेकिन इस बार भी एक्टिंग के मामले में सभी कलाकारों ने खुश कर दिया है। शुरुआत मनोज बाजपेयी से ही करते हैं जिन्होंने अपने अलग ही स्वैग में श्रीकांत तिवारी का रोल निभा लिया है। बढ़िया बात तो ये है कि वो कोई बॉलीवुड का हीरो नहीं है, वो कभी भी दुश्मनों को पकड़ने के लिए तीन मंजिला इमारतों से छलांग नहीं लगता है, वो एक आम इंसान है जो अपने ही अंदाज में बस देश की सेवा कर रहा है। यहीं सादगी वाला अंदाज मनोज के इस रोल को इतना दमदार बना देता है।

इस बार सीरीज में साउथ एक्ट्रेस सामंथा अक्किनेनी सभी के लिए बड़ा सरप्राइज हैं। उन्हें काफी कम डायलॉग दिए गए हैं, लेकिन उन्होंने सिर्फ अपने हाव-भाव से ही सभी को खौफजदा कर दिया है। उनका स्क्रीन पर आना ही कहानी को मजबूत कर गया है। एक्शन सीन्स में तो उन्होंने अलग ही लेवल का टैलेंट दिखा दिया है।

देखनी बनती है क्या?

ऐसे में इस सीरीज को देखते समय जब-जब आप सीजन 1 से तुलना करेंगे, निराश होंगे, लेकिन अगर सिर्फ कलाकारों की एक्टिंग पर फोकस करेंगे तो मेकर्स की तारीफ भी हो जाएगी और ये वन टाइम वॉच वाली सीरीज भी साबित होगी। वैसे द फैमिली मैन का श्रीलंका के बाद अगला ठिकाना नागालैंड होने वाला है….समझ जाइए कैसे…

जरूरत से ज्यादा लंबी सीरीज

द फैमिली मैन का पहला सीजन शानदार था और बहुत हद तक दर्शकों को अपनी कहानी के साथ बांधने वाला रहा। 10 एपिसोड बाद भी मन नहीं भरा था और आगे की कहानी जानने के लिए उत्सुकता बढ़ती रही। अब इसका सीजन 2 रिलीज तो हुआ है लेकिन पहले सीजन की तुलना में कमजोर रह गया है। जिस कहानी को मेकर्स ने 9 एपिसोड में बताया है, इसे काफी आसानी से 5 से 6 एपिसोड में बताया जा सकता था। शुरुआत के तीन एपिसोड तो काफी ज्यादा धीमे कहे जाएंगे। लोगों को श्रीलंका की राजनीति के बारे में इतने ज्यादा विस्तार से बताया गया है कि कहानी एंटरटेन करने के बजाय बोर कर जाती है।

इस बार पीएम को बचाना है

बताया जाता है कि देश के प्रधानमंत्री को ये लोग अपना निशाना बना सकते हैं। यहीं पर कहानी में भारत की सीक्रेट एजेंसी की एंट्री होती है और फिर श्रीकांत तिवारी ( मनोज बाजपेयी) और डीके ( शरीब हाशमी) देश को खतरे से बचाने में लग जाते हैं। अब देश को श्रीकांत इस खतरे से कैसे बचाएगा? श्रीलंका में फिर अपनी मूवमेंट को जिंदा करने का प्रयास कर रहे आंदोलनकारी क्या कदम उठाएंगे?

तमिल एक्टरों का अच्छा इस्तेमाल

सीरीज में ये भी देखने लायक बात है कि मनोज बाजयेपी की अपनी ऑनस्क्रीन पत्नी प्रियामणि से ज्यादा शरीब हाशमी संग केमिस्ट्री जमी है। जब-जब मनोज और शरीब साथ में आए हैं, मजा दोगुना हुआ है। इस बार सीरीज में कई तमिल एक्टरों को भी जगह दी गई थी। श्रीलंका की गवर्नमेंट ऑफ एग्जाइल के चीफ के रोल में मीमे गोपी का काम काफी सराहनीय रहा है। दूसरे कलाकारों ने भी ठीक-ठाक काम कर कहानी को आगे बढ़ाने का काम किया है।

सबसे बड़ी कमजोरी

द फैमिली मैन 2 के क्रिएटर्स राज निदीमोरू और कृष्णा डीके ने इस बार भी अपना कल का प्रदर्शन तो ठीक से कर दिया है, लेकिन कुछ एक्स्ट्रा प्लॉट दिखाने के चक्कर में वे कई बार मात खा गए। ये सीरीज देख समझ आ गया कि हर बार आंतकवाद और पाकिस्तान को साथ दिखाने से कहानी इंट्रेस्टिंग नहीं बनाई जा सकती है। जब पूरी सीरीज ही श्रीलंका और वहां के तमिल लोगों के आंदोलन से प्रेरित दिखाई पड़ रही है, तो पाकिस्तान और ISI वाला प्लॉट थोपा हुआ सा लगता है। सीरीज का क्लाइमेक्स भी बढ़ते हुए बज को ठंठा करने वाला साबित हुआ है। लगता है कुछ बड़ा हो जाएगा, लेकिन बस सीरीज खत्म हो जाती है।

 

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