तापसी पन्नू बॉलीवुड इंडस्ट्री की उम्दा कलाकार हैं। उन्होंने पिंक, थप्पड़ सांड की आंख, मनमर्जियां जैसी फिल्मों से ये साबित करके रख दिया है कि हिंदी सिनेमा जगत को ग्लैमरस के साथ-साथ एक बेहतरीन अदाकारा की जरुरत होती है। इसी कड़ी में उनकी आज एक ओर फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हुई रश्मि रॉकेट।
रश्मि रॉकेट खिलाड़ियों की जिदंगी में हुई सच्ची घटना से हमें रुबरु कराती है। फिल्म में दर्शाया गया है कि महिला एथिलीट के साथ जो दुनिया भर में अन्याय होता है क्या उन्हें आंख बंद करके चुपचाप सह लेना चाहिये। अक्सर आपने देखा होगा कि पुरुष हार्मोन टेस्टेस्टोरॉन कई बार महिला एथलीटों में औसत से अधिक मात्रा में पाया जाता है। रश्मि रॉकेट फिल्म में रश्मि बनी तापसी पन्नू इसी मुद्दे पर बहस करती है।
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ये कहानी है गुजरात के कच्छ में पैदा हुई, पली-बढ़ी रश्मि वीरा की है। बचपन से ही रश्मि दौड़ने में तेज है और लड़कों से मार-पीट करने में भी पीछे नहीं रहती। पिता उसे ‘रॉकेट’ कहते हैं। ऐसे में आर्मी कैप्टन गगन ठाकुर ने उसे एथलेटिक्स प्रतिस्पर्द्धाओं में हिस्सा लेन को कहते हैं। कहानी में यही से नया मोड़ आता है। इसके बाद गगन रश्मि को ट्रेन करता है और रश्मि एक के बाद एक राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं जीती रहती है, जिससे वो एथलेटिक्स एसोसिएशन के सिलेक्टर्स की नज़र में आ जाती है।
फिर रश्मि, निहारिका से आगे निकल जाती है। लेकिन रश्मि का टैलेंट उसके लिए मुसीबत बन जाता है और जेंडर टेस्टिंग के लिए बुलाया जाता है। रिपोर्ट में पता चलता है कि रश्मि के रक्त में टेस्टेस्टेरॉन हार्मोन की मात्रा पुरुष एथलीटों से भी अधिक है। ऐसे में एथलीट एसोसिएशन रश्मि पर बैन लगा देती है और कैसे वो इस लड़ाई को जीत पाती है यही कहानी है। फिल्म की कहानी बहुत ही बेहतरीन है ये महिला सशक्तिकरण की कहानी को बयां करती हैं।