Thursday, November 21, 2024
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लता मंगेशकर : जब लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की आवाज सुनकर दिलीप साहब (Dilip Kumar) ने कहा था, मराठियों की आवाज से दाल भात की गंध आती है

लता मंगेशकर : महान गायिका लता मंगेशकर ने तकरीबन 6-7 दशकों तक अपनी सुरीली आवाज से दर्शकों का एंटेरटेन किया है। उनकी आवाज इतनी सुरीली और दिलकश थी कि हर किसी अभिनेत्री पर बिल्कुल फिट बैठती  थी। हर वर्ग के लोग उनकी आवाज के दीवाने हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं जब लता मंगेशकर की पतली आवाज के कारण उन्हें इंडस्ट्री में काम देने से इंकार कर दिया गया था।

लता मंगेशकर : महान गायिका लता मंगेशकर ने तकरीबन 6-7 दशकों तक अपनी सुरीली आवाज से दर्शकों का एंटेरटेन किया है। उनकी आवाज इतनी सुरीली और दिलकश थी कि हर किसी अभिनेत्री पर बिल्कुल फिट बैठती  थी। हर वर्ग के लोग उनकी आवाज के दीवाने हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं जब लता मंगेशकर की पतली आवाज के कारण उन्हें इंडस्ट्री में काम देने से इंकार कर दिया गया था।

खुद हिंदी सिनेमा के ट्रेजड़ी किंग दिलीप साहब (Dilip Kumar) को लता दीदी की आवाज पसंद नहीं आयी थी। लेकिन बाद में दिलीप साहब की कई फिल्मों में लता दीदी ने गाने गाये जो सुपर-डुपर हिट रहे। लता दीदी और दिलीप कुमार का रिश्ता भी काफी खास और करीबी का हो गया था। दिलीप साहब, लता दीदी को अपनी छोटी बहन मानते थे और हर साल उनसे राखी बंधवाते थे। तो आइये जानते हैं क्या है पूरा किस्सा

एक इंटरव्यू के दौरान खुद लता दीदी ने ये किस्सा शेयर किया था। लता दीदी की आवाज को लेकर शुरुआती दौर में बहुत से लोगों का मानना था कि उनकी आवाज बहुत पतली और कमजोर है। सबसे पहले फिल्म मेकर एस मुखर्जी ने लता मंगेशकर की आवाज को रिजेक्ट कर दिया था। उन्होंने कहा था कि ये बहुत पतली आवाज है।

उसी दौर में एक बार ट्रेन में सफर करने के दौरान लता दीदी की मुलाकात दिलीप कुमार से हुई। लता दीदी, दिलीप साहब और अनिल विश्वास ट्रेन में सफर कर रहे थे। अनिल विश्वास जी ने दिलीप साहब को लता दीदी का परिचय करवाते हुए कहा ये लड़की बहुत अच्छा गाना गाती है। दिलीप साहब ने पूछा कहां की रहने वाली है तो उन्होंने बताया कि मराठी है। इसके बाद दिलीप साहब ने तुरंत पूछा कि फिर इनके तलफ्फुस कैसे होंगे।

दिलीप साहब ने जब लता दीदी की आवाज सुनी तो उन्होंने कहा कि इसमें तो दाल भात की गंध आती है। मतलब की गाने में शब्दों के उच्चारण स से था। दिलीप साहब की इस बात को लता दीदी ने गंभीर लिया। उन्होंने बताया कि इसके बाद वो शफी भाई से मिली और कहा कि मुझे उर्दू पढ़ने का शौक है, मैं सीखना चाहती हूं, क्योंकि आगे ऐसे गाने आयेंगे जिसमें उर्दू की जरूरत होगी।  लता दीदी ने इसके बाद रियाज किया और अपने तलफ्फुज में सुधार किया।

 

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