मुंबई। बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर धर्मेंद्र ने अपने भूले बिसरे दिनों को एक बार फिर से याद करके उन यादों को ताजा किया है। एक्टर धर्मेंद्र अपने ज़माने के लाजवाब एक्टरों में से एक हुआ करते थे लोग उनकी एक्टिंग को भी खासा पसंद करते थे। हालांकि इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। धर्मेंद्र आए दिन पुराने दिनों को याद करते हुए फोटोज और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं। धर्मेंद्र ने फिल्म ‘गुड्डी’ की शूटिंग के दिनों को याद करते हुए एक वीडियो शेयर किया है। जया बच्चन और धर्मेंद्र की इस फिल्म को ऋषिकेश मुखर्जी ने निर्देशित किया था। इस फिल्म में जया ने एक ऐसी लड़की का रोल प्ले किया था जो स्टार धर्मेंद्र के पीछे दीवानी थी।
All that glitter is not gold…. Dosto, “Guudi” mein…is glitter ki haqeeqat se parda hataaya tha..🙏 dukhi dil se keh raha hoon Mohan studio ki ye stage jal gaie thi.. yahan mera screen test hua tha .. pic.twitter.com/b4sP2Q4ROD
— Dharmendra Deol (@aapkadharam) July 22, 2021
1 जनवरी 1971 में रिलीज हुई फिल्म ‘गुड्डी’ की कहानी और गाने गुलजार ने लिखे थे, वसंत देसाई ने इस फिल्म में संगीत दिया था। गुड्डी में जया बच्चन की मासूमियत भरी एक्टिंग के दर्शक कायल हो गए थे। फिल्म तो सुपरहिट हुई ही थी, इस फिल्म के गाने भी बेहद पसंद किए गए। ‘हमको मन की शक्ति देना’, ‘बोले रे पपीहरा’ और ‘हरी बिन कैसे जिऊं’ इतने जबरदस्त हिट हुए कि आज भी सुने और गाए जाते हैं।
जया बच्चन ने अपनी पहली फिल्म ‘गुड्डी’ में जबरदस्त एक्टिंग की थी। जब उन्होंने पर्दे पर ‘हमको मन की शक्ति देना’ गाया तो एक स्कूल की बच्ची की मासूमियत दिखी और जब ‘बोले रे पपीहरा’ गाया तो प्रेम में दीवानी एक लड़की की सहजता दिखी।
‘गुड्डी’ फिल्म में धर्मेंद्र और जया बच्चन के अलावा ए के हंगल और उत्पल दत्त जैसे दिग्गज कलाकार थे। धर्मेंद्र ने इंस्टाग्राम और ट्विटर पर इस फिल्म से संबंधित एक थ्रोबैक वीडियो शेयर किया है. ट्विटर पर धर्मेंद्र ने लिखा-‘हर चमकती चीज सोना नहीं होती..दोस्तों, ‘गुड्डी’ में.. इस हकीकत से पर्दा हटाया था..दुखी दिल से कह रहा हूं मोहन स्टूडियो की ये स्टेज जल गई थी… यहां मेरा स्क्रीन टेस्ट हुआ था..’ .
इस वीडियो में जया बच्चन के साथ खड़े धर्मेंद्र सीन में कहते हैं, यहां मैंने बिमल दा के साथ अपना करियर शुरू किया था। बिमल रॉय तब बंदिनी बना रहे थे..अब ये स्टूडियो भी खत्म हो गया है। दो बीघा जमीन, बंदिनी, मधुमती..जैसी बड़ी-बड़ी फिल्में यहां बनीं..अब किसको वो नाम याद है, धुंधले होते-होते एक दिन यह नाम भी मिट जाएंगे और यह जगह जो कला का तीर्थ स्थान होनी चाहिए थी, एक दिन यहां साबुन की फैक्ट्री बन जाएगी, इस लाइट को देखो जाने कितने हीरो-हीरोनों के चेहरे को रौशन किया होगा, आज बुझा हुआ पड़ा है।