Jeetendra : हिंदी सिनेमा के जंपिंग जैक कहलाने वाले दिग्गज कलाकार जितेंद्र (Jeetendra) आज अपना 80वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। बेहतरीन डांसर, गुड लुकिंग और उम्दा कलाकार जितेंद्र (Jeetendra) का स्टाइल आज भी लोग कॉपी करते हैं। 60-70 के दशक में जितेंद्र (Jeetendra) की एक झलक पाने के लिए दर्शक बेसब्र रहते थे। उन्होंने हिंदी सिनेमा जगत को कई बेहतरीन फिल्में दी। उनके बर्थडे के मौके पर जानते हैं जितेंद्र (Jeetendra) के चॉल में रहने से लेकर स्टार बनने तक की कहानी-
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जितेंद्र (Jeetendra) का असली नाम रवि कपूर है। 7 अप्रैल 1942 को उनका जन्म पंजाब में हुआ था। उन्होंने अपना बचपन मुंबई के चॉल में बिताया था। जितेंद्र के पापा और अंकल जूलरी सप्लाई करने का काम करते थे। उनके पिता और अंकल उस जमाने के मशहूर फिल्म निर्माता वी शातांराम के यहां ज्वैलरी भेजने का काम करते थे। जितेंद्र को बचपन से ही एक्टर बनने का सपना था। एक दिन उनके पिता को हार्ट अटैक आया और इसके बाद जितेन्द्र का घर संभाल पाना मुश्किल हो गया। इसके बाद जितेन्द्र ने कुछ सोचा और अंकल से कहा कि उन्हें वी. शांताराम से मिलना है। लेकिन जितेन्द्र जो सपना लेकर उनके पास गए थे, वह तब चकनाचूर हो गया जब शांताराम ने कहा- तुम कोशिश करना चाहते हो तो करो लेकिन मैं तुम्हें चांस नहीं दूंगा।
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लेकिन शांताराम के यहां से कॉल आया कि उन्हें रोल तब दिया जाएगा जब कोई जूनियर आर्टिस्ट नहीं आएगा। ऐक्टिंग का मौका मिले न मिले, उन्हें हर दिन राजकमल स्टूडियो के सेट पर आना था और पगार थी 105 रुपये महीना। वी. शांताराम ने जब अपनी अगली फिल्म की शुरुआत की तो जितेन्द्र को स्क्रीन टेस्ट देने के लिए कहा गया। लेकिन जब उन्हें बुलाया गया तो वह काफी हैरान थे क्योंकि वह फिल्म ‘सेहरा’ का एक डायलॉग ठीक से बोल नहीं पाए थे और 30 टेक भी दिए थे। हालांकि, इसके बावजूद उन्हें स्क्रीन टेस्ट के लिए ऑफर मिला।
इसके बाद वी शांताराम ने अपनी फिल्म गीत गाया पत्थरों में जितेंद्र को लीड एक्टर का रोल दिया। उन्होंने रवि कपूर का नाम बदलकर जितेंद्र कर दिया था। इसके बाद तो जितेंद्र की किस्मत का ताला ऐसा खुला कि उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 60 से 90 तक के दशक की फिल्मों में जितेंद्र का जलवा देखने को मिला।