Monday, October 7, 2024
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हम दो हमारे दो रिव्यू : कॉमेडी, ड्रामा और रोमांस लेकिन फिर भी कुछ लगा मिसिंग

फिल्म निर्माता दिनेश विजन हिंदी सिनेमा जगत के मशहूर निर्माता हैं। फिल्म जगत में उनको काफी सम्मान दिया जाता है। वो हमेशा नये-नये निर्देंशकों को मौका देने में सबसे आगे रहते हैं। हम दो हमारे दो फिल्म से पहले भी वो कृति सेनन और राजकुमार राव के साथ बरेली की बर्फी में काम कर चुके हैं।

फिल्म निर्माता दिनेश विजन हिंदी सिनेमा जगत के मशहूर निर्माता हैं। फिल्म जगत में उनको काफी सम्मान दिया जाता है। वो हमेशा नये-नये निर्देंशकों को मौका देने में सबसे आगे रहते हैं। हम दो हमारे दो फिल्म से पहले भी वो कृति सेनन और राजकुमार राव के साथ बरेली की बर्फी में काम कर चुके हैं।

बरेली की बर्फी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की थी। लेकिन हमेशा ऐसा तो  नहीं होता है कि कलाकार की वजह से ही फिल्म चल जाये। बेहतरीन कलाकार होने के साथ-साथ फिल्म की कहानी भी बेहतरीन होनी चाहिये जो दर्शकों को अंत तक बांध कर रखें। ऐसा नहीं कि 2 घंटे की फिल्म देखने के बावजूद दर्शकों को कुछ अधूरापन सा लगे। ऐसा ही कुछ हम दो हमारे दो फिल्म में देखने को मिला। इसमें ड्रामा, कॉमेडी और रोमांस सब कुछ है लेकिन इसके बावजूद फिल्म में अधूरापन से महसूस होता है। फिल्म की कहानी ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों के जैसी है और फिल्म का निर्देंशन डेविड धवन की फिल्मों के जैसा है। यही वजह है कि फिल्म की कहानी मार खा गई।

फिल्म की कहानी शुरु होती है बाल प्रेमी (राजकुमार राव) नाम के एक अनाथ बच्चे से। बाल प्रेमी जो बड़ा होकर ध्रुव बनता है। बच्चा अपने संघर्ष के दम पर दुनिया में सफलता का मुकाम हासिल करने का सपना देखता है। इसी सपने को पूरा करने के लिये ये 12-13 का बच्चा अपने मुंहबोले चाचा का धाबा छोड़कर चुपचाप रात में निकल जाता है। अपने संघर्ष के दम ये बच्चा बड़ा होकर सफलता हासिल करता है। खुद का एक ऐप बनाता है। सबको कल्पना की एक दुनिया में ले जाता है। लेकिन इस लड़के का बचपन से ही एक सपना होता है कि उसका भी एक परिवार हो। इसी कड़ी में उसको आन्या (कृति सेनन) नाम की एक लड़की से प्यार हो जाता है। ये प्यार इतना गहरा होता है कि बात शादी तक पहुंच जाती है।

 

लेकिन आन्या का सपना होता है कि वो जिस घर में बहू बनकर जाये वो भरा-पूरा हो। लेकिन ध्रुव तो अनाथ होता है उसके ना तो मां-बाप होते हैं और ना ही कोई रिश्तेदार। ऐसे में ये शादी हो भी तो कैसे हो। ध्रुव के लिये आन्या की इच्छा पूरी करना बहुत मुश्किल हो जाती है। ऐसे वक्त में ध्रुव की मदद उसका दोस्त सेंटी (अपारशक्ति खुराना) और मुंहबोले चाचा (परेश रावल) करने को तैयार हो जाते हैं। फिर कहानी में ध्रुव के नकली बाप (परेश रावल) और नकली मां (रत्ना पाठक शाह) बनते हैं।

फिल्म की कहानी बिल्कुल ही कमजोर है। कलाकारों ने अपनी बेहतरीन अदाकारी से उसे मजबूत बनाने की कोशिश जरुर की है। बड़े नाम होने के बाद भी आपको ऐसा लग सकता है कि आप फिल्म को पूरा एंज्वॉय करने से वंचित रह गये हैं। फिल्म का म्यूजिक भी कुछ खास नहीं है। फिल्म में कहीं भी राजकुमार और कृति का रोमांटिक सीन नहीं दिखाया गया है।

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