मोहम्मद रफी बर्थडे : अब हिंदी सिनेमा जगत में कई गायक आये और गये लेकिन पार्श्वगायक मोहम्मद रफी सदी के ऐसे गायक रहे जिनके जैसा कोई नहीं रहा। भले ही मोहम्मद रफी इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन आज भी लोग उनको भूल नहीं पाये हैं। उनकी मखमली आवाज सुनकर ऐसा लगता है कि रफी साहब आज भी हम सबके बीच में ही मौजूद हैं।
मोहम्मद रफी बर्थडे : मोहम्मद रफी के जिदंगी से जुड़े कुछ अनसुने पहलू
यदि मोहम्मद रफी हमारे बीच जिंदा होते तो आज उनकी 97वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे होते। अपनी आवाज से सारी दुनिया को दीवाना बनाने वाले रफी साहब अपने बड़े भाई के साथ सैलून में काम किया करते थे। उनको बचपन में पढ़ाई करने का कोई शौक नहीं था। लेकिन जब मोहम्मद रफी के साले मोहम्मद हमीद ने रफी में प्रतिभा देखी और उनका उत्साह बढ़ाया। हमीद ने ही रफी साहब की मुलाकात नौशाद अली से करवाई। जिसके बाद उन्हें ‘हिंदुस्तान के हम हैं, हिंदुस्तान हमारा’ गाने की कुछ लाइन गाने का मौका मिला था।
सहगल की जगह मोहम्मद रफी ने गाया था गाना
एक वक्त की बात है ऑल इंडिया रेडियो लाहौर में उस समय के प्रख्यात गायक और अभिनेता कुन्दन लाल सहगल गाने के लिए आए हुए थे। रफी साहब और उनके बड़े बाई भी सहगल को सुनने के लिए गए थे। लेकिन अचानक बिजली गुल हो जाने की वजह से सहगल ने गाने से मना कर दिया। उसी समय रफी के बड़े भाई साहब ने आयोजकों से निवेदन किया की भीड़ को शांत करने के लिए रफी को गाने का मौका दिया जाए। यह पहला मौका था जब मोहम्मद रफी ने लोगों के सामने गाया था। इसके बाद रफी साहब ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मोहम्मद रफी उस जमान के हर बड़े-बड़े अभिनेताओं के लिये गाने गाये।