Friday, February 7, 2025
HomeBollywoodदिलीप साहब को याद कर सायरा बानो ने लिखा लेटर, पढ़कर आपकी...

दिलीप साहब को याद कर सायरा बानो ने लिखा लेटर, पढ़कर आपकी आंखे भी हो जायेंगी नम

हिंदी सिनेमा के ट्रजेडी किंग, भारत रत्न दिलीप साहब का निधन इसी साल जुलाई महीने में हो गया था। उनका निधन होना पूरे हिंदी सिनेमा जगत के लिये एक बहुत बड़ी क्षति है। अगर दिलीप साहब जिंदा होते तो आज अपना 99वें जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे होते।

हिंदी सिनेमा के ट्रजेडी किंग, भारत रत्न दिलीप साहब का निधन इसी साल जुलाई महीने में हो गया था। उनका निधन होना पूरे हिंदी सिनेमा जगत के लिये एक बहुत बड़ी क्षति है। अगर दिलीप साहब जिंदा होते तो आज अपना 99वें जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे होते। यूं तो दिलीप साहब के जाने से हर किसी को दुख हुआ लेकिन सबसे ज्यादा उनकी पत्नी सायरा बानो टूट गईं। सायरा बानो हमेशा दिलीप कुमार के साथ सायें की तरह रहीं। हर मुश्किल हर दर्द में सायरा उनका हमदर्द बनी रहें।

आज दिलीप साहब के जन्मदिन के मौके पर सायरा बानो ने  लेटर लिखा, आज उनकी सालगिरह है। भले ही उनसे बात नहीं हो पाई हो। लेकिन वो हमेशा। हरदम मेरे साथ हैं।

सायरा बानो ने अपने लेटर में लिखा, “11 दिसंबर, 1922 पेशावर, पूर्व-विभाजन भारत में उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत। 11 दिसंबर की बेहद ठंडी रात में, जब पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में ठंडी हवाओं के के झोंके से भीषण आग भड़क रही थी, मेरी जान, यूसुफ साहब, पेशावर के एक प्रमुख फल व्यापारी मोहम्मद सरवर खान की खूबसूरत पत्नी आयशा बेगम के चौथे बच्चे के रूप पैदा हुए थे। इस साल 11 दिसंबर को, जो कल है, उनका 99वां जन्मदिन होगा।

उनके लाखों प्रशंसक और मैं (उनकी फैन नंबर 1) इस दिन को अपने आप में चुप-चाप मना लेंगे, लेकिन हम सभी अच्छे से जानते हैं कि वह हमारे जीवन में हमेशा के लिए हैं। तथ्य यह है कि दिलीप साहब बहुत खुश थे और गर्व करते थे कि वह एक अविभाजित भारत में पैदा हुए थे। और वह एक बड़े, खुशहाल परिवार में पला-बढ़े थे, जो बड़ों के सम्मान के बंधन से जुड़ा था, छोटे सदस्यों और महिलाओं की देखभाल करता था और एक दूसरे पर अटूट विश्वास रखता था।

साहेब को अपने पिता द्वारा अपने बेटों और बेटियों में दी गई देशभक्ति पर भी गर्व था और उन्हें और उनके ग्यारह भाई-बहनों को सभी समुदायों और सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों के साथ घुलने-मिलने की आजादी दी गई थी। इसलिए, अपने जीवन भर में दिलीप साहब औरों से काफी अलग थे।  वो सभी क्षेत्रों और समाज के सभी वर्गों के लोगों के साथ पूरी तरह से कम्फर्टेबल थे।

साहेब से मेरी शादी के बाद, मुझे एक ऐसे जीवन के आदी होने में कोई कठिनाई नहीं हुई। जिसमें मेहमानों और रिश्तेदारों का बेवक्त स्वागत कभी कराया जाता था और और उन्हें कंफर्टेबल महसूस कराते हुए शाही पठान शैली में खाना खिलाया जाता था। हमारे जीवन के सभी खास मौकों पर हमने लोगों और फूलों से अपना घर भरा देखा है। उस घर को रोशन देखा है। न तो मोमबत्ती की रोशनी से और न ही बिजली की रोशनी से, बल्कि ड्राइंग रूम, फ़ोयर और बगीचे में साहेब की उपस्थिति से जहां पर वो हर हर मेहमान पर ध्यान दिया करते थे। चाहें वो किसी भी पेशे या सोशल स्टेटस का हो।

साहेब के फिल्म इंडस्ट्री और हमारे समुदाय के बाहर और भी दोस्त थे। जो जन्मदिन, सालगिरह, ईद, दिवाली, क्रिसमस आदि अवसरों पर ओपन हाउस में आने वाले कई लोगों को हैरान भी करते थे। जैसा कि मैंने दो महीने पहले हमारी शादी की सालगिरह के अवसर पर कहा था।  वह हमारे बीच में है  धीरे से मेरा हाथ पकड़ रहे है और बिना शब्दों के अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं। अपनी आंखों की बेजोड़, अद्वितीय वाक्पटुता से। एक बार फिर मुझे पता है कि मैं अभी और हमेशा के लिए अकेली नहीं जन्मदिन मुबारक हो, जान।

RELATED ARTICLES

Most Popular